जैव उर्वरक :-
वह सूक्ष्म जीव जो मृदा की उर्वरकता शक्ति व फसल उत्पादन को बढ़ाते हैं, जैव उर्वरक कहलाते हैं
राइजोबियम :-
यह एक जीवाणु होता है जो की दलहनी फसलों की जड़ों में पाया जाता है
अलग-अलग फसलों में अलग-अलग प्रकार की राइजोबियम की प्रजातियां पाई जाती है जो की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करती है
एजोंटोवेक्टर :-
इस जैव उर्वरक का उपयोग गेहूं, जो ,मक्का तथा सब्जियों में किया जाता है
एजोस्पीरीलम :-
इस जैव उर्वरक का उपयोग गन्ना बाजरा, ज्वार व सब्जियों में किया जाता है
एजोला व BGA :-
इन जैव उर्वरकों का प्रयोग धान की फसल में किया जाता है
माइकोराइजा :-
यह एक कवक है
इस कवक तथा पौधे की जड़ों के बीच में सहजीवित पाई जाती है
यह पौधों की जड़ों के अंदर पाया जाता है जो की मृदा में उपस्थित फास्फोरस को पौधों को उपलब्ध कराता है
जैव उर्वरकों के लाभ :-
यह पौधों में नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश जिंक आधि की उपलब्धता को बढ़ाते हैं
इनके उपयोग से पौधों को पोषक तत्वों के अतिरिक्त हार्मोन तथा विटामिन की प्राप्ति भी होती है
इनके उपयोग से फसलों की उपज में 15 से 20% तक वृद्धि होती है
मृदा की भौतिक दशा में सुधार होता है
जैव उर्वरक फसलों को मृदा जनित रोगों से बचाते हैं